शनिवार, 28 अप्रैल 2018

"best direction for sleeping in hindi"

   


                        "best direction for sleeping in hindi"  




    दोस्तों  मैंने अपनी पिछली कुछ पोस्ट्स में बात की थी कि अच्छी  नींद कैसे आये फिर हमने बात की कि हमारा सोने का   ढंग कैसा हो जिससे कि आरामदायक  नींद  के साथ २ हमारे स्वास्थ्य भी ठीक बना रहे ,तो उसी श्रृंख्ला को आगे बढ़ाते हुए आज बात करेंगे -कौन सी दिशा में सोना हमारे स्वास्थ्य के लिये उत्तम है  और उसके पीछे क्या लॉजिक है |
        हमारे बड़े बुजुर्ग कई ऐसी छोटी २  बाते हमे बताते रहे  है जिन पर हम अक्सर गौर नहीं करते और न ही  हमने उन बातो के पीछे जो logics  है उन पर ध्यान देने की कोशिश ही की है |सोने के विषय को लेकर भी उनका मानना  रहा है कि जिस तरह अच्छा पौश्टिक भोजन या व्यायाम या फिर अन्य बाते हमारे जीवन में महत्व रखती  है ,उसी तरह सोने  की सही  दिशा  का हमारे जीवन से व स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है   |

      इस विषय का वर्णन न केवलchines  feng shui system,आयुर्वेद आदि में है बल्कि modern  science भी इस बारे में हमे काफी कुछ बताती है\| आपको जानकर हैरानी होगी कि recent scientific  studies  ने  भी इस विषय पर प्रकाश डालना शुरू कर  दिया है और इस बात की  भी पुष्टि  की है कि सोने की दिशा व हमे  रात में किस तरह की नींद आती है ,इन  दोनों बातो  का आपस में गहरा सम्बन्ध है |हमारी life  का लगभग एक तिहाई हिस्सा सोने में जाता है जो हमारे शरीर के लिए जरूरी भी है ,तो क्या हमारे लिए यह जानना  जरूरी नहीं होगा  कि  हमारे लिए सोने की सही दिशा क्या होनी चाहिए ताकि हम शारीरिक व मानसिक तौर  पर पूरी   तरह स्वास्थ्य    रह सके | सोने की मुख्यता चार दिशाए होती है -उत्तर ,दक्षिण ,पूरब और पछिम यानि कि north ,south ,east and west | तो चलिए जानते है इन   मे   से सोने के लिए कौन सी direction हमारे लिए best है






    North direction -उत्तरी दिशा -आयुर्वेद  में  उत्तर की दिशा को मृत्यु  की दिशा  माना गया   है अर्थात यह दिशा केवल dead  bodies   के   लिए ही ठीक मानी गयी है | यह भी कहा  गया  है  कि हमारे सिर की दिशा उत्तर व पैर की दिशा दखिन यानि south की है|पृथ्वी और हमारे  बीच एक गुरत्वाकर्षण (gravitational force )  काम करता   है| और यदि हम उत्तर (north ) की  तरफ सर कर  के सोते है  तो  उतर -उतर एक साथ होने से प्रतिकर्षण यानि की force of  repulsion काम करेगा  जिससे शरीर में  सिकुड़न पैदा  होगी और major sickness  हो  सकती है ,नींद भी ठीक से नहीं आएगी  ,ब्लड प्रेशर बढ़ने का भी डर बना रहता है   |इस तरह  सोने से ब्लड का circulation brain की ओर अधिक जाने   की संभावना रहती है और यदि हमारे ब्रेन में ब्लड जरुरत से अधिक जाता है तो इससे  ब्रेन hemorrhage  का भी खतरा हो सकता है |ऐसा  जरूरी  नहीं कि कुछ टाइम तक अगर हम ऐसे सोये तो ऐसा कुछ होगा परन्तु यदि हम लगातार इस दिशा में सोये तो ऐसा कुछ होने की सम्भावना बढ़ जाती है ,या फिर नींद  में  खलल  पड़ती ही है | इसलिए  हमे कोशिश यही करनी चाहिए की north direction  में हम बिलकुल  न सोये |परन्तु यदि हम दक्षिण अमेरिका या फिर ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में है तो हम north  की तरफ सर कर  सकते है | ऐसा इसलिए कहा  जाता है क्यूंकि north  hemisphere यानि की उत्तरी गोलार्थ में रहने वालो के लिए   south direction     और  southern hemisphere में रहने वालो के लिए north direction    सर्वोत्तम रहती है |



 South Direction (दक्षिणदिशा )- इस  दिशा की तरफ   सिर  कर  के   सोने  की दिशा को सर्वोत्तम माना गया है | यह माना जाता है की ऐसे सोने से धन ,समृद्धि ,खुशिया आती है ,और सबसे अच्छी बात  यह है कि नींद  बहुत अच्छी आती है



|East  Direction (पूर्व  दिशा )-यह माना जाता है कि  सोने के समय हमारा सिर पूर्व की तरफ होता है तो इससे  memory ,concentration बढ़ता है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है| इसके अलावा  अद्यात्म की ओर  भी  रुझान बढ़ने लगता है |



 West Direction (पछिम दिशा )-वास्तु  के हिसाब से  west  direction  की  दिशा  की  तरफ   हम सर  को रख के सोते  है  तो इससे परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ती है और घर में समृद्धि आती है |   
 


            सोने की दिशा को लेकर विष्णु पुराण जो की हिन्दुओ का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है उसमे  भी वर्णन मिलता है|
इस ग्रन्थ में भी  बताया गया है कि ईस्ट या साउथ की तरफ ही अधिक लाभकारी है   और यदि हम   दिशा का ध्यान नहीं रखते तो हम बीमारियों को बुलावा देते है | 












              
          

मंगलवार, 24 अप्रैल 2018

"a comfortable sleeping position"






              "a comfortable sleeping position" 




            दोस्तों  अपनी पिछली पोस्ट में हमने बात की थी अच्छी नींद कैसे आये के बारे में  जिसमे  नींद न आने के कारण  व उपायो के  बारे में जानकारी दी गयी  थी और आज हम बात  करेगे सोने के सही ढंग के बारे में 
        अब  यहाँ  मै  आपसे एक प्रश्न पूछना चाहूंगी कि क्या आपको याद है आप कल रात कैसे सोये थे ?क्या जब आप उठे थे तो बहुत ताजा व स्फूर्ति से भरे हुए थे या फिर कुछ अच्छा महसूस नही कर रहे थे और या फिर शारीर में कही जकड़न सी या दर्द सा महसूस हो रहा था |यकीनन आप को याद नही होगा कि कल रात आप कैसे सोये थे |हम में से अधिकतर लोग इस बात पर ध्यान नही देते|
            रात को हम कितने घंटे गहरी नींद में सोये,इस बात के अलावा  यह बात भी महत्व रखती है कि   हम किस ढंग  से सोये यानि कि किस पोजीशन (position)में सोये | हमारे अगले दिन की  स्फूर्ति व काम करने की क्षमता इस बात  पर काफी हद तक निर्भर करती है और खास कर  जब हमारी कमर के निचले हिस्से में दर्द (lower back pain)या गर्दन (neck)में दर्द की शिकायत हो|
           कही  आप भी कमर दर्द या गर्दन के दर्द से परेशान  तो नही ,  तो  आप अकेले नही |The global burden of disease  study  के  अनुसार आज  यह समस्या पूरे   विश्व  में  तेज़ी से बढ़ रही है|और एक रोचक तथ्य सामने आया है कि कैंसर व आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारियों से यह दर्द इतना नही होता जितना कि सोने के गलत ढंग की वजह से |  कमर का दर्द , गरदन मे  दरद   यहा  तक कि चेहरे पर पड़ी झुरीयो से भी इस बात का  गहरा सम्बन्ध है कि  हम किस   ढंग से सोते है|  हमारे सोने का   ढंग का हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है |तो चलिए जानते है  हम  किस २  position में सोते है और उससे  हमें क्या लाभ व हानि हो सकती है  
 
 पेट  के बल सोना  -(stomach sleepers) - स  तरह  से सोने  से हमारी कमर का दरद बढ़ सकता है क्यूंकि इससे हमारी रीड की हड्डी में जो प्रकृतीक कर्व (natural curve) होता है वो सपाट(flattens) हो जाता है जिससे हमारी कमर में दर्द होता है व गर्दन (neck) में भी दर्द होने लगता है |इस  position में सोने से  केवल उन्ही लोगो को थोड़ी राहत मिलती है  जिन्हें खराटे बहुत आते है या फिर sleep  apnea की प्रॉब्लम रहती है |इस आदत को धीरे २ बदलने के लिए आप पेट के नीचे व हिप्स (hips)के नीचे एक २ तकिया रख सकते है जिससे रीड की हड्डी के नीचे वाले भाग को थोडा सहारा मिल सके और इस तरह आप को साइड में सोने की आदत पड़ने  की सम्भावना भी रहती है |


  पीठ के बल सोना -(back sleepers)पीठ के बल सोना सबसे बढिया posture है सोने के लिए |इससे हमारी रीढ़ की हड्डी व गर्दन का स्वास्थ्य बना रहता है |दूसरे  ,गद्दा भी हमारी रीड की हड्डी को सीधा रखने में अहम भूमिका निभाता है |इसके अलावा पीठ के बल सोने से हमारी  सुन्दरता बनी रह सकती है |जी हा यदि आप पीठ के बल सोते है तो आप के चेहरे पर हवा लगती रहती है, दुसरे  चेहरा किसी भी तरह से तकिये से दबता नही जिससे झुरिया पड़ने की सम्भावना कम रहती है |इसके अलावा ह्रदय रोगियों (heart patients)के लिए भी  इस ढंग से सोना अच्छा रहता है ,विशेषतय  रात्रि के११ से १ के बीच  |   

      इस तरह सोने की सलाह डॉक्टर उन लोगो को प्राय नही देते जिन्हें sleep apnea की प्रॉब्लम होती है | निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते है कि सोने का यह ढंग अच्छा है परंतु पूरी रात ऐसे सोना सभी को आरामदायक  नही लगता | 

      बाई साईड में हो कर सोना -(side sleepers)|सोने का यह ढंग अधिकतर लोगो को  सबसे अधिक आरामदायक  लगता है |लगभग ४१ %लोग थोडा गोलाई में व अपनी टांगो को थोडा मोडकर सोते है |इस अवस्था को fetal position भी कहा जाता है अर्थात गर्भावस्था में जैसे शिशु सोता है ,  पुरुषो की अपेक्षा महिलाये इस position में अधिक  सोती है |महिलाओ का  गर्भावस्था में इस तरह  सोना अधिक लाभकारी है क्यूकि इससे हृदय में खून का प्रवाह (blood   circulation)अच्छा बना रहता है जो माँ व शिशु दोनों के लिए लाभकारी है |इसके अलावा इससे lower back पर प्रेशर भी नही पड़ता 

    एक साधारण व्यक्ति के लिए जिसे प्राय गैस व एसिडिटी  की शिकायत रहती है ,इस position में सोने से आराम मिलता है |दूसरी तरफ यदि हम देखे तो ऐसी अवस्था में सोने से हमारे शरीर के कई अंगो जैसे  पेट किडनी , फेफड़े आदि पर दबाव पड़ता है| इसके अलावा बाई तरफ मुड़े रहने से हमारे बाजू व  कंधो पर दबाव पड़े रहने से दर्द भी हो सकता है | 

       निष्कर्ष के तौर पर हम कह  सकते है कि हमे केवल उसी position में सोना चाहिए जो हमारे लिए सर्वोतम है व जिससे हमारी रीड की हड्डी व गर्दन पर किसी तरह का कोई प्रेशर न पड़े |पीठ के बल यदि हम सोये तो अपने घुटनों के  नीचे तकिया रख के सोये और यदि और अधिक आराम से सोना चाहते है तो बाई तरफ को सोये और  अपने घुटनों को थोडा मोड़ कर| 
       दोस्तों में उम्मीद करती हूँ कि यह जानकारी आपको रोचक लगी होगी | आगे आने वाले लेख में  हम बात करेगे सोने की सही दिशा के बारे में और मै आशा करती हू कि आप सभी को उस लेख का इन्तेजार रहेगा |

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

"tips for good sleep in hindi"

                


                 "tips for good sleep in hindi"





            अक्सर हम लोगो को यह कहते हुए सुनते है   कि बहुत थकावट और सुस्ती सी लग रही है और फिर जब कभी ऐसे लोगो से कारण पूछा जाए तो वह अक्सर यही बोलते है कि  क्या बताए रात में ठीक से नींद नही आती|यह समस्या आजकल काफी देखने को मिल रही है और दिन प्रतिदिन यह बढती ही जा रही है जो न केवल हमारे स्वास्थ्य पर बुरा  असर डाल रही है बल्कि हमारे दैनिक जीवन को भी प्रभावित कर  रही है |     

     गहरी अच्छी नींद  आना जरूरी क्यों         

             अच्छी नींद आना उतना ही जरूरी है जितना कि हमारा भोजन ,व्यायाम आदि|इससे न सिर्फ हमें उर्जा (energy)मिलती है बल्कि अपने रोजाना के कामो  को हम पूरे मन  व लगन से कर के अच्छे परिणाम पा  सकते है|इसके अतिरिक्त  हमारी सेहत (मानसिक,शारीरिक) व रोग प्रतिरोगक क्षमता  (इम्यून सिस्टम)  भी स्ट्रोंग  बनता है,हृदय (heart)भी ठीक रहता है  और मूड भी अच्छा बना रहता है ,और तो और आयु भी लम्बी होती है|एक रिसर्च (research) में यह पाया गया है कि नींद पूरी न होने के दुष्परिणाम  तुरत  दिखाई देने शुरू हो जाते है जैसे कि  हमारे दिमाग की  सोचने समझने कि शक्ति कम होने लगती है,स्वभाव  चिडचिडा होने लगता है ,हमारे शरीर के हारमोंस (harmones)पर भी असर पड़ने लगता है ,थकावट सी बनी रहने की वजह से हम एक्टिव नही रह  पाते और  इस तरह वजन भी बढने लगता है |
           पीछे  कुछ दशको में यह पाया गया है कि  अधीकाश लोगो को न तो गहरी नींद आती है  और न ही वह  ज्यादा सो पाते   है |तो आइये  जानते है किन कारणों से ऐसा होता है और कैसे इस समस्या को ठीक कर सकते है|

      नींद न आने के कारण  

  1.       नींद न आने का सबसे बड़ा कारण होता है सक्रिय दिमाग यानि कि active mind|दिन भर के कामो में आई परेशानियों ,कभी अपने अतीत तो कभी वर्तमान तो कभी आगे कि सोचने लगना या फिर छोटी २ बातो को ले कर या व्यक्तिगत रिश्तो को लेकर सोचने लगना -यह सभी कही न कही हमारी नींद पर असर डालते है |
  2. रात को सोने से कुछ समय पहले एरोबिक (aerobic) एक्सरसाइज इत्यादि  यदि करते है तो उससे शारीर चुस्त (active)हो जाता है  जिससे नींद आने में समय लगता है 
  3. दूसरी ओर यदि सारा दिन हम कुछ मेहनत के काम नही करते यानि कि   active नही रहते तो भी ऐसा होता है |
  4. दिन  में अगर हम ज्यादा सोते है और वो भी २ बजे के बाद तब भी नींद आने में परेशानी हो सकती है |\
  5. रोजाना यदि हमारा सोने का टाइम एक जैसा नही होता अर्थात कभी हम रात के  १० बजे सो रहे है तो कभी १२ बजे तो  उससे हमारे शारीर में प्रकृतिक रूप से सेट हुई घडी जिसे इंग्लिश में circadian rhythm कहते है और जो हमारे शारीर को एक निश्चित समय पर उठने व सोने का संकेत देती है वह ठीक से संकेत नही दे पाती |
  6. देर रात तक टी वी देखना,कम्प्यूटर या मोबाइल पर लगे रहना  भी नींद न आने का बहुत बड़ा कारण है जो आज कल काफी घरो में देखने को मिलता है 
  7. इसके अलावा दिन में  यदि हम बिलकुल भी सूर्य कि रोशनी नही लेते तो उससे भी हमारी नींद पर काफी असर पढता है |
  8. रात का खाना यदि हम टाइम पर नही खाते या बहुत मिर्च मसाले (spicy )से भरपूर भोजन   खाते है तो उससे भी सोने में काफी परेशानी  होती है |
  9.  सोने से थोडा पहले यदि हम ज्यादा पानी या तरल (liquids)आदि लेते  है तो हमे नींद में उठ कर बार २ बाथरूम जाना पड़ता है जिससे नींद में खलल पड़ती है 
  10. कई लोगो में sleep apnea यानि कि नींद न आने वाली एक बीमारी भी हो सकती है |एक खोज में यह पाया गया है कि २४%पुरुषो (men)व ९%महिलाओ (women)में यह पाई जाती है |
  11. यदि सोने के कमरे में शोर आता है या अधिक रोशनी आती है या फिर हमारा गद्दा ,तकिया अधिक मोटे या पतले है तो इससे भी नींद आने में समस्या हो सकती है|  
                हम थोडा ध्यान से यदि  उपर दी गयी बातो को  सोचे तो काफी हद तक अपनी इस परेशानी से छुटकारा पा सकते है |आएये देखे क्या बदलाव लाने  से हम  चैन की  नींद ले कर अच्छी सेहत पा सकते है |

 उपाए 

  1. मन व दिमाग को शांत रखने की कोशिश करे | मैडिटेशन (meditation)या गहरी  सांसे (deep breathing)लें  | सांसे  ज्यादा  जल्दी २ न ले, लेकिन थोडा लम्बे समय तक ले 
  2. सोने से थोडा पहले कोई भी एरोबिक एक्सरसाइज न करे ,हाँ हलकी फुल्की एक्सरसाइज या थोडा टहलना अच्छा रहता है |
  3. दिन के समय अधिक खाली न बैठे ,अपने आप को व्यस्त (busy)रखे |दिन में यदि सोये भी तो १५ -२० मिनट से ज्यादा नही ,और वो भी २ बजे से पहले ही सोये तो अच्छा है |
  4. कई बार हम अधिक थके होते है तब भी हमें नींद नही आती यदि ऐसा हो तो थोडा संगीत (music)सुने या आँखे बंद कर थोड़ी देर तक लेटे व सोने की कोशिश करे | अच्छी किताब (book)पड़ने से भी नींद जल्दी आ सकती है |
  5. दिन के समय थोडा धूप में अवश्य जाये 
  6.  अपने सोने व जागने का एक निश्चित समय बनाए  ताकि हमारी बॉडी क्लॉक सेट हो सके ,कहने का अर्थ यह है कि इस तरह एक नियम बना लेने से हमारा मस्तिष्क हमरे शारीर को एक निश्चित  समय पर सोने व जागने का संकेत देने लगता है |
  7. सोने से पहले सिर की मालिश किसी भी तेल (नारियल,बादाम रोगन आदि )से करने से भी अच्छी नींद आती है |
  8. इसके आलावा पैर के तलवों  पर सरसों कि तेल की मालिश भी काफी असरदार होती है ,जैसा कि  आयुर्वेद   में बताया गया है |
  9. सबसे  अधिक महत्वपूर्ण बात जिसका हमे ध्यान रखना चाहिए कि टी.वी .मोबाइल फ़ोन ,कंप्यूटर का देर रात तक प्रयोग न करे |
  10. सोने से पहले गरम दूध पीने से भी बहुत अच्छी नींद आती है और अगर उसमे थोड़ी हल्दी डाल ले तो और भी अच्छी नींद आएगी|
  11. इस बात का भी ध्यान रखे कि सोने के समय  बेडरूम में  किसी तरह का कोई शोर या रोशनी  न आये |
  12. हमारा बिस्तर भी आरामदायक हो यानि कि  गद्दा व तकिया न ही अधिक पतले हो और न ही अधिक मोटे|
  13. बेडरूम का तापमान भी ठीक होना चाहिए |
  14. यह सारे उपाए करने के बाद भी यदि समस्या बनी रहे तो डॉक्टर को   अवश्य दिखाए ताकि नींद  से जुडी कोई  बीमारी (sleeping disorder)है तो उसका इलाज हो सके |       
        इस  तरह  यदि हम अपने लाइफस्टाइल में  थोड़े  बदलाव  लाते है और छोटी २ बातो पर ध्यान देते है तो
     अच्छी नींद आने में कोई समस्या नही होगी और एक अच्छा बदलाव हमारे जीवन में देखने को मिलेगा |

          दोस्तों  आगे आने वाली अपनी पोस्ट में बात करेगे -सोने के सही ढंग के बारे में |तो मै उम्मीद करती हूँ आप  सभी  को उस पोस्ट का इंतेजार रहेगा |

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

"eye care in summer in hindi"

  Eye care in summer in hindi  

    कुछ महत्वपूर्ण जानकारी (important tips)

        आँखों  का हमारे जीवन में कितना महत्व है यह तो हम सभी जानते ही है| प्रात उठने  के बाद से ले कर रात को सोने तक हम आँखों का प्रयोग करते रहते है |कभी कुछ पढते  है ,कभी कम्पयुटर पर कुछ काम करते है या फिर सुंदर द्रश्य देखने के लिए भी  इन्ही का इस्तेमाल करते है |परन्तु  क्या कभी हमने आँखों के स्वास्थ्य की तरफ ध्यान दिया है ,शायद नही |हमारा ध्यान केवल उसी समय इस तरफ जाता है जब आँखों कि कोई समस्या आ जाती है और हमारे दिन प्रतिदिन के के कार्यो में रूकावट आने लगती है |
       साधारनतया हमारी आँखों की समस्याए गर्मी में बढ़ जाती है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय वातावरण में तापमान(heat) बढ़ जाता है और आँखों में नमी कम होने लगती है और आँखों पर जोर (strain)पढने पर कभी हमें आँखों में खुजली (itching),या सूजन (स्वेल्लिंग)या फिर आँखों का लाल होना जैसी तकलीफे हो सकती है| हमारी त्वचा मेलेनिन बनने के कारण   कुछ हद बहुत  तक अपने को सुरक्षित रख सकती है लेकिन आँखे अपने को अधिक गर्मी से बचाने में सक्षम नही होती इसलिए त्वचा की सुरक्षा के साथ २ हमें आँखों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना  बहुत जरूरी है| तो चलिए  जानते है कैसे  रखे गर्मी में अपनी आँखों का ख्याल जिससे इस मौसम में होने वाली बीमारियों से दूर रह सके |

  • कैसा हो हमारा धूप का चश्मा -(how to choose sun glass)धूप का चश्मा चुनते समय यह ध्यान रकहना चाहिए कि वह हमें पूरी सुरक्षा प्रदान कर सके यानि की सूर्य कि यू .वी .आर (u.v.r)किरणों (rays)से हमें बचा  सके 

  • तैराकी(swimming) के समय भी धूप के चश्मे का इस्तेमाल करना  |स्विम्मिंग पूल के पानी में क्लोरिन मिला होता है,जो हमारी आँखों को नुकसान पहुंचा सकता है |इसके अलावा बिना इसके यदि हम स्विम्मिंग करते है तो कई तरह के जीवानुओ (germs)का हमारी आँखों में प्रवेश हो सकता है और आँखों में चोट भी लग सकती है
  • हाथो की सफाई का ध्यान रखना -(hands hygiene)हाथो  की सफाई हमे बहुत सी बिमारीयों से बचाती है|हाथो को हमेशा साफ़ रखना यानि कि बीमारियों से बचने का टीका लगवाने जैसा है |गंदे हाथ यदि हम आँखों  पर लगाते   है तो यह कई  तरह के जीवानुओ (germs)को बुलावा देने जैसा है |जिन लोगो की  आँखों का ऑपरेशन( जैसे कि मोतिया ,लासिक आदि) हो चुका है उन्हें इन्फेक्शन आदि का खतरा अधिक रहता है |इसके अतिरिक्त इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हम आँखों को अधिक न रगड़े  (rub )  

  • कम्प्यूटर(computer) का प्रयोग करने में सावधानी बरते -कंप्यूटर हमेशा ठीक लेवल पर रखे और आँखों से कुछ दूरी पर रखे  जिससे आँखों पर अधिक जोर न पड़े |इसके अलावा हर   दो -तीन घंटे के बाद आँखों को थोडा आराम दे|काम करते २ बीच बीच में आँखों को झपकाते भी रहना चाहिए |

  • हैट्स (hats)आदि का प्रयोग -इसका इस्तेमाल  करने से आँखों को सीधी धूप नही लगती जिससे आँखों को काफी राहत मिलती है |

  • पर्याप्त मात्रा में  सोना - सारा दिन यदि आप कम्पयूट र  पर काम करते है तो ऑफिस से आकर दस -पन्द्रह मिनट के लिए आँखे बंद कर के लेट जाये और रात में भी सात -आठ घंटे की नींद ले ताकि आँखों की थकावट दूर हो सके

  • आखो  के विशेषग्य द्वारा दिए गए ड्रॉप्स का प्रयोग करे -आँखों के सूखापन से खुजली होते रहने पर  ,या लाल होने पर अथवा आँखों के ऑपरेशन या फिर वैसे भी लगातार यदि दर्द बना रहता है तो आँखों के विशेषग्य को दिखाये व उनके द्वारा दिए गए आँखों के  ड्रॉप्स का प्रयोग करे अन्यथा आँखों की रोशनी पर भी असर पड सकता  है|आँखों की नमी को बनाये रखने के लिए जो ड्रॉप्स दिए जाते है वो साधारण से होते है जिनमे प्राय कैमिकल्स इत्यादि नही होते |

                  इन सबके अलावा यदि हम रोजाना आँखों का ध्यान रखे तो छोटी मोटी समस्याओ को काफी हद तक ठीक कर  सकते है जैसे  कि आँखों को सादे पानी से धोते रहना ,आँखों में थकावट लगने पर आइस पैक रखना या फिर ठंढे खीरे  के दो टुकड़े दोनों आँखों पर कुछ देर क लिए रखना आदि |आँखों का सूखना अधिकतर शारीर में पानी कि मात्रा का कम होने से होता है अत पानी काफी मात्रा में पीना चाहिए |   

  •    भोजन- भोजन में खीरा ,व फल इत्यादि व  विटामिन  ऐ ,सी व जिंक आदि भी पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए |यदि फिर भी विटामिन्स कि कमी रह जाये तो सप्लीमेंट्स भी ले सकते है | 

         बादाम- बादाम विटामिन ई से भरपूर होते हैं जो कि आखो के लिए बहुत लाभदायक  है। मुट्ठी भर बादाम हमारे दिन  भर की विटामिन ई की जरूरत को पूरा करने में मदद करता है।
          फैटी फिश-टियूना फिश, सलमान, आदि फिश जिनमें डि एच ए आदि अधिक पाया जाता है !यह भी आखो के स्वास्थय के लिए लाभकारी है!
              सिटरस फरूट व बेरिस-यह सभी विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो कि आखो के स्वास्थय के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इससे cataract का खतरा भी कम रहता है 
           अंडे- अंडे के पीले भाग में जो पोषक तत्व पाए जाते हैं वह भी आखो के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं ।
               हरी पतेदार सब्जियां--हरी पतेदार सब्जियाँ एनटी ओकसिडेनट से भरपूर होती है और आखो के  स्वास्थय के लिए  बहुत ही अच्छी मानी जाती है।
                 गाजर व अन्य पीले रंग के फल इत्यादि--गाजर मे भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है व अन्य पीले रंग के फल व सब्जियाँ भी आखो के स्वास्थय के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है।

             अंत में इतना कहना चाहूगी कि आँखों को ले कर किसी तरह कि लापरवाही नही बरतनी चाहिए और समय समय पर डॉक्टर को दिखाते रहना चाहिए | 









        





शनिवार, 14 अप्रैल 2018

How to stop excessive sweating in hindi


            How to stop excessive sweating 






त्वचा हमारे शारीर का बहुत ही  महत्ववपूर्ण भाग है जो अत्यंत संवदेनशील भी होता है |साधारनतया दिखने में यह शरीर के  आंतरिक अंगो को ढक के रखने वाली एक  सुरक्षा परत  लगती  है परन्तु त्वचा इस के अतिरिक्त कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाये भी निभाती है,जैसे कि शरीर से बेकार तत्वों  (toxins)को बाहर निकलना,शरीर के  तापमान को नियंत्रित रखना,कुछ हद तक अनचाही गैस को बाहर निकालना,शरीर में नमी(moisture level) के स्तर को बनाये रखना,सर्दी -गर्मी इत्यादि का अहसास कराना इत्यादि|

       पसीना आना हमारे शरीर का एक प्राकृतिक तरीका है, शरीर के भीतर के तापमान को सामान्य रखने का व शरीर के टोक्सिंस को बाहर निकालने का|गर्मी व उमस के समय पसीना अधिक आना भी एक स्वभाविक प्रकिया है लेकिन कुछ लोगो को अत्यधिक पसीना आता है व काफी बदबू भी आती है जिससे वह परेशान हो जाते है क्योकि  कही न कही यह उनके सामाजिक जीवन ,रिश्तो व व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित करने लगता है |

अत्यधिक पसीना आने के संकेत या लक्षण(symptoms)  

इसके पीछे कई कारण या disorders भी हो सकते है जिसे आप यदि लगातार नॉटिस कर रहे है तो डॉक्टर को अवश्य दिखाए |तो चलिए  देखते है ऐसे कौन से लक्ष्ण है जिससे हमे पता चलता है  कि पसीना बहुत अधिक आ रहा है |
  • इतना अधीक पसीना कि आपके पूरे कपड़े उससे भीग जाये 
  • हथेलिया व पैर के  तलवे गीले रहना 
  • पैरो से अत्यधिक बदबू आना 
  • त्वचा में कही २ दरारे नज़र आना 

अत्यधिक पसीना आने के कारण  (causes)

  • चिंता,अधिक उतेजना,मानसिक परेशानी,घबराहट,अधिक भावुकता (tension,anxity,stress,nervousness,emotions)आदि भी पसीने की ग्रंथियों (glands)को उतेजित (stimulate)कर देते  है|
  • आहार (diet)
  1. नमक -जब हम जरूरत से ज्यादा नमक आहार में लेते है तो सोडियम से छुटकारा पाने के लिए शारीर उसे पेशाब (urine) और पसीने के  द्वारा बाहर निकाल देता है |
  2.  कैफ़ीन-चाय व कॉफ़ी में कैफिन पाया जाता है जो पसीने की ग्रन्थियो (sweating glands)को उतेजित (stimulate)करने में मदद करता है और शरीर इस अधिक उर्जा को पसीने के रूप में बाहर निकालता है |
  3. प्याज व लहसुन -यह पसीने में आने वाली बदबू को बढ़ाते है \
  4. मिर्च व मसाले-यह शरीर के तापमान को बढ़ाते है जिससे पसीना अधिक आता है |

  • सिंथेटिक कपड़े (synthetic clothes) - गर्मी में सिंथेटिक कपडे पहनने से पसीने की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि टाइट बुनाई कि वजह से पसीना बाहर नही निकाल पाता जबकि सूती (cotton),सिल्क (silk),लिनन (linen)आदि से हवा का आवागमन बना रहता है  और पसीने से काफी  राहत मिलती है 
  • मीनोपॉज(menopause)-स्त्रियो(women)को इस अवस्था में प्राय अधिक पसीने की शिकायत रहती है 
  • अधिक वजन (over weight)-अधिक वजन शरीर के अंदर के तापमान (temperature)को बढाता है जिससे अधिक पसीना बनता है |

   उपचार (remedies)

  • अधिक चिंता ,परेशानी ,या भावुकता की स्थिति में  गहरी साँस लेने व थोडा शांत रहने का प्रयास करना चाहिए|इसके अलावा मैडिटेशन (meditation)द्वारा भी एसी स्तिथि में बहुत राहत मिलती है |
  • अपने खाने में कम से कम नमक ,मिर्च व मसालों का प्रयोग करना चाहिए |
  • लहसुन व प्याज (garlic and onion)का प्रयोग भी कम करना चाहिए |
  • जहाँ तक हो सके आरामदायक कपडे पहनने चाहिए जैसे कि सूती ,लिनन इत्यादि
  • मेनोपौस के दौरान यदि हम पौष्टिक आहार,नियमित व्ययाम ,योग इत्यादि करते रहे तो इस समस्या को काफी हद तक ठीक कर  सकते है |
  • समय २ पर वजन कराते रहना चाहिए व बड़े हुए  वजन को  खान पान पर नियंत्रण व व्यायाम द्वारा कम करने का प्रयास करना  चाहिए |
  • किसी बीमारी की वजह से यदि अधिक एंटीबायोटिक्स (antibiotics)ले चुके हो तो ज्यादा गरम चीजों से परहेज़ करे ||

     इस सब के अलावा कुछ घरेलू उपचार भी कर सकते है जैसे कि कड़ी धूप में निकलने से पहले कच्ची लस्सी पी कर निकले |इसके अलावा गर्मी में बेल का शरबत,नीम्बू पानी,नारियल पानी,आम पन्ना  व सादा पानी भी बहुत राहत देता है|रात  को सोते समय दो चम्मच गुलुकंद ले के  उसके बाद पानी पी ले इससे भी लीवर कि गर्मी निकलती हैइसके अलावा गोंद्कतीरा जो कि पंसारी या आयुवेद स्टोर से आसानी से मिल जाता है भी ले सकते है गेहूँ  का ज्वारा (wheat grass)आधा चमच्च एक गिलास  पानी में डालकर खाने के आधे घंटे बाद ले सकते है,इससे काफी ठंडक मिलती है
      इन सभी प्रयासों के बाद भी यदि आराम नही मिलता तो डॉक्टर को अवश्य दिखाए,|होमियोपैथी में भी तवचा सम्बन्धी समस्याओ के काफी अच्छे परिणाम देखने को मिलते है जो कि मेरा व्यक्तिग्त अनुभव रहा है |
       
     आशा है मेरे इस लेख से आप सब को लाभ होगा और मेरी आगे भी यही कोशिश रहेगी आप सभी से अपनी जानकारी साँझा करती रहू |

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बुधवार, 11 अप्रैल 2018

Skin problems in hindi


 

Skin  problems in hindi

त्वचा सम्बन्धित समस्याएं तथा उनका समाधान 



      नमस्कार दोस्तों ,


आज मैं अपना  पहला हिंदी ब्लॉग शुरू करने जा रही हूँ||हिंदी में ब्लॉग लिखने का मेरा उदेश्य अधिक से अधिक लोगो में अपने विचारो व जानकारी को साँझा करना है|भारतीय संगीत व अच्छे स्वास्थ्य  व जीवनशैली(life style)   के प्रति मेरी काफी रूचि रही है अत;   यह  ब्लॉग इस दिशा में मेरा पहला प्रयास है और मैं आशा करती कि आप सभी द्वारा मुझे  प्रोत्साहन  मिलता रहेगा |

त्वचा हमारे स्वास्थ्य का आइना 

साधारणतया हम केवल इसी तरफ ध्यान देते है कि हमारी त्वचा सुंदर दिखे पर कभी २ हमारे काफी प्रयासों के
बाद भी हमारी त्वचा काफी रुखी सूखी या फिर कील मुहांसों से भरी अथवा काली दिखाई देती है |कुछ समय तक ऐसा रहता है तो इसमें घबराने कि कोई बात नही परन्तु यदि  लम्बे समय तक यह स्थिति बनी रहती है तो हमें अवश्य तवचा विशेषग्य को दिखाना चाहिए |तो चलिए जानते है इन  सभी समस्याओं के पीछे छुपे कारणों को

त्वचा पर खुजली (itching)

कभी २ यह  अधिक गर्मी में पसीने से या फिर पहने  हुए किसी कपडे की वजह  से भी हो सकती  है परन्तु
यदि काफी समय तक यह ऐसे ही होता   है तो हो सकता है कि यह किडनी या फिर लीवर कि किसी समस्या का संकेत हो |इसके अलावा शारीर के किसी भाग में किसी तरह कि कोई इन्फेक्शन भी इसका कारण हो सकती है|कभी २ यह समस्या मदुमेह यानि diabetes के  कारण भी हो सकती है|

तवचा की अलर्जी या चक्कते(rashes)

अधिकतर यह समस्या तेज  धूप में जाने से और सनबर्न कि वजह से हो जाती है जिसे हम घरेलू उपचार द्वारा 
भी ठीक कर सकते है जसे कि थोड़ी सी  हल्दी को थोड़ी सी ठंडी दही में मिला कर प्रभावित जगह पर लगभग ३० मिनट तक लगा कर रखे और फिर पानी से धो ले |या फिर उस जगह पर नारियल का पानी २० मिनट तक लगा कर धो ले |परन्तु यदि यह सब करने के बाद भी आराम नही मिलता तो हो सकता यह वायरल इन्फेक्शन हो या किसी दवा से एलर्जी कि वजह से हो |

तवचा का( गर्दन इत्यादि) का काला पड़ना

अधिक्तर लोग सोचते है कि त्वचा पर धूल मिट्टी जमने की  वजह से ऐसा होता है परंतु कई बार यह संकेत त्वचा कि किसी ऐसी बीमारी का होता है जिसमे शरीर कि परतो में मस्से जैसे कुछ दिखना शुरू हो जाता है जो घातक
भी सिद्ध हो सकता है|यह  कालापन मधुमेह की शुरुआत का भी संकेत हो सकता है |

त्वचा का रूखापन

बढती उम्र या सर्दी में त्वचा का रूखापन स्वभाविक है जिसे कुछ घरेलु उपायों के द्वारा ठीक किया जा सकता है जैसे कि मल्लाई,जैतून का तेल ,नारियल का तेल के उपयोग द्वारा और दिन में कम से कम आठ से दस गिलास पानी पी कर |यदि फिर भी त्वचा अत्यधिक शुष्क रहती है तो यह थाइरोइड या मधुमेह कि बीमारी का संकेत भी हो सकता है 

कील मुहांसों  का होना

ऐसी समस्या प्राय किशोरों में पाई जाती है जो समय के साथ २ ठीक हो जाती है या फिर अच्छे से त्वचा की देखभाल व  खानपान का ध्यान रखने  से भी ठीक हो सकती है पर अगर ऐसा लम्बे समय तक रहे तो डॉक्टर को दिखा लेना  चाहिए क्योंकि कभी २ होरमोन कि गड़बड़ी से भी ऐसा हो सकता है जो आगे चलकर थायरोड कि बीमारी का रूप ले सकता है 

आखोँ के आसपास पीले से पदार्थ का जमा होना 

शारीर में बड़ते हुए कोलेस्ट्रोल कि तरफ यह इशारा करता है |    

 चेहरे हमेशा लाल लाल दिखाई देना

यह एक ऐसी आंतरिक बीमारी की  और इशारा करता है जो हमारे  कई अंगो पर प्रभाव डाल
सकता है जैसे कि लीवर ,जोड़ ,किडनी इत्यादि 
  

 



  


   

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